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Showing posts from August, 2019

Veergati Bhagat Singh : I am Nationalist Hindu Sikh Arya samaji ( I am not Atheist) !

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On this day (Mar 23) entire Bharat is commemorating the heroic sacrifice made by three young patriots on 23 Mar, 1931. Bhagat Singh, Sukhdev and Rajguru gladly kissed the gallows on this day by singing the song that praises their motherland Bharat. After long  84 years of their execution we are still debating on the legacy of this revolutionary patriot. For all of us, the chronicle of Bhagat Singh is a source of inspiration in serving Bharat  Bhavani. To my knowledge he sacrificed his precious life for a noble cause, for the liberation of Bharat from the invaders, for nationalism. Undoubtedly Bhagat"s  legacy belongs to every Bharati. But for the communists (experts in transforming sheep to dog), he died for communism and not for nationalism. They are incessantly advocating Bhagat as their poster boy, for several years they have been using  Goebalsian tricks to claim Bhagat"s  legacy. They are injecting fake stories about Bhagat into the blood of y

" नई पीढ़ी देश के लिए जीना सीखे "

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"जीवन के निष्कर्ष के सही होने की दृष्टि से व्यक्ति का जीवन के प्रति दृष्टिकोण निर्णायक होता है; जीवन में जीने के लिए क्या करना है और क्या करने के लिए जीना है इन दोनों विषयों के बीच वही अंतर है जो जीवन की सफलता और जीवन की सार्थकता के बीच होता है, जिसे समझ पाने की लिए  स्वयं का ज्ञान और जीवन का बोध महत्वपूर्ण है; हम क्या करने के लिए जीते हैं या फिर हम जीने के लिए क्या करते हैं यह इस बात पर निर्भर करता है की हमारे लिए जीवन की समझ कितनी स्पष्ट है;    इसलिए,ज्ञान का उद्देश्य अगर व्यक्ति के जीवन यापन की चिंता तक ही सीमित हो तो समाज में शिक्षा की व्यवस्था चिंता का कारन बन जाता है; क्योंकि तब अपनी विकृत शिक्षा नीति के कारन  समाज अपने सतत प्रयासों से एक ऐसी पीढ़ी का निर्माण करता है जिसके लिए महत्व का निर्धारण भी मूल्य से होता है।  जब तक व्यक्ति को स्वयं का बोध न हो उसके लिए यह समझ पाना कठिन होगा की उसे क्या करने के लिए जीना है।  और तब, जीवन की सफलता के किसी भी माप दंड के अनुसार जीवन कितना भी सफल क्यों न हो, वह अपने प्रयास और प्रभाव से अपनी सार्थकता नहीं सिद्ध कर पाती।  हम एक ऐ

*_🚩🔱👏नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे 🇮🇳!_*

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*_🚩🔱👏नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे 🇮🇳!_* *_त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोहम्!!_* *_महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते॥👏🕉🚩_* *🚩🇮🇳हे वात्सल्यमयी मातृभूमि, तुम्हें सदा प्रणाम! इस मातृभूमि ने हमें अपने बच्चों की तरह स्नेह और ममता दी है। इस हिन्दू भूमि पर सुखपूर्वक मैं बड़ा हुआ हूँ। यह भूमि महा मंगलमय और पुण्यभूमि है। इस भूमि की रक्षा के लिए मैं यह नश्वर शरीर मातृभूमि की सेवा मे अर्पण करते हुए इस भूमि को बार-बार प्रणाम करता हूँ।🔱🙋🏻‍♂🇮🇳🕉🚩* *भारत देश के सभी प्रेमियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाये एवं   रक्षाबंधन का त्योहार के पावन पर्व की हार्दिक बधाई !!👏🔱🕉🚩* *भारत माता की जय 👏🇮🇳* *_हर हर महादेव शिव शम्भू 👏🔱🚩_* Santoshkumar B Pandey at 8.30Am

Shahed Bhagat Singh is Not Communist ideology follower & also not a Atheist but He is a Nationalist Hindu sikh !

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Meeting with Bhagat Singh & Release from Jail (Source: Autobiography of Bhai Sahib Bhai Randhir Singh Ji – Meeting with Bhagat Singh, The Great Patriot – Chapter 25) AT LAST THE day came, It was 6 P.M. on 4th October, 1930. The news of my release was announced and everyone was very happy about it. I was sitting in a blissful solitude within my cell. All the patriots rushed towards my cell to break the news to me and congratulate me. The first to come and congratulate me was Bhai Gajjan Singh (Master). In a matter of minutes other patriots gathered around me and read joyfully the orders of release. I was overwhelmed not so much by the joy of release as by the separation I would have to bear from devoted friends like Bhai Kartar Singh (of Canada). I was overwhelmed by these dual emotions of joy and sorrow when friends came to bid good-bye with loving embraces. The prison officials stood there ready to carry out the order of my release but my feet were reluctant to move away fr