Posts

Showing posts from 2019

राष्ट्रवादी क्रांतिकारी लाला हरदयाल !

Image
लाला हर दयाल एक भारतीय राष्ट्रवादी क्रांतिकारी थे। वे एक बहुश्रुत थे जिन्होंने अपना करियर भारतीय नागरिक सेवा में बना लिया था। उनके साधे जीवन और उच्च विचार वाली विचारधारा का कनाडा और USA में रहने वाले भारतीय लोगो पर काफी प्रभाव पड़ा। पहले विश्व युद्ध में ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई थी। उनका जन्म 14 अक्टूबर 1884 को दिल्ली के पंजाबी परिवार में हुआ। हरदयाल, भोली रानी और गौरी दयाल माथुर की सांत संतानों में से छठी संतान थे। उनके पिता जिला न्यायालय के पाठक थे। लाला कोई उपनाम नही बल्कि कायस्थ समुदाय के बीच उप-जाति पदनाम था। साथ ही उनकी जाति में ज्ञानी लोगो को पंडित की उपाधि भी दी जाती है। जीवन के शुरुवाती दिनों में ही उनपर आर्य समाज का काफी प्रभाव पड़ा। साथ ही वे भिकाजी कामा, श्याम कृष्णा वर्मा और विनायक दामोदर सावरकर से भी जुड़े हुए थे। कार्ल मार्क्स, गुईसेप्पे मज्ज़िनी, और मिखैल बकुनिन से उन्हें काफी प्रेरणा मिली। कैम्ब्रिज मिशन स्कूल में पढ़कर उन्होंने सेंट स्टीफन कॉलेज, दिल्ली से संस्कृत में बैचलर की डिग्री हासिल की और साथ ही पंजाब यूनिवर्सिटी से उन्होंने सं

"स्वतंत्रता सेनानी श्यामजी कृष्ण वर्मा"

Image
स्वतंत्रता सेनानी  श्यामजी कृष्ण वर्मा  जन्म: 4 अक्टूबर 1857, मांडवी, कच्छ, गुजरात मृत्यु: 30 मार्च 1930, जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड कार्य: भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, इंडियन होम रूल सोसाइटी’, ‘इंडिया हाउस’ और ‘द इंडियन सोसिओलोजिस्ट’ के संस्थापक श्यामजी कृष्ण वर्मा एक भारतीय क्रांतिकारी, वकील और पत्रकार थे। वो भारत माता के उन वीर सपूतों में से एक हैं जिन्होंने अपना सारा जीवन देश की आजादी के लिए समर्पित कर दिया। इंग्लैंड से पढ़ाई कर उन्होंने भारत आकर कुछ समय के लिए वकालत की और फिर कुछ राजघरानों में दीवान के तौर पर कार्य किया पर ब्रिटिश सरकार के अत्याचारों से त्रस्त होकर वो भारत से इंग्लैण्ड चले गये। वह संस्कृत समेत कई और भारतीय भाषाओँ के ज्ञाता थे। उनके संस्कृत के भाषण से प्रभावित होकर मोनियर विलियम्स ने वर्माजी को ऑक्सफोर्ड में अपना सहायक बनने के लिए निमंत्रण दिया था। उन्होंने ‘इंडियन होम रूल सोसाइटी’, ‘इंडिया हाउस’ और ‘द इंडियन सोसिओलोजिस्ट’ की स्थापना लन्दन में की थी। इन संस्थाओं का उद्देश्य था वहां रह रहे भारतियों को देश की आजादी के बारे में अवगत कराना और छात्रों के मध्य परस्पर मि

" Veer Savarkar had refused to meet Jinnah to discuss Pakistan "

Image
Veer Savarkar had refused to meet Jinnah to discuss Pakistan US confidential report mentions that Savarkar felt that Jinnah would make political capital out of the meeting pointing that the Hindu had come to the Muslim for compromise The founder of Pakistan Mohammad Ali Jinnah wanted to discuss Pakistan with Veer V.D. Savarkar but the latter refused to meet him because he felt that Jinnah would make a political capital out of the meeting. Savarkar felt that Jinnah would spread out a message that the Hindu had come to the Muslim for compromise if he met him. The US state department’s “strictly confidential” report has revealed this information. A Washington-based Savarkar devotee Shridhar Damle, 70, has acquired the report as a part of his research on Savarkar. The US state department website mentions that US had diplomatic and consular relations with India since 1776. US had its mission in Delhi and its Consulate General used to operate from Kolkata. American Vice Consul Thurs

Veergati Bhagat Singh : I am Nationalist Hindu Sikh Arya samaji ( I am not Atheist) !

Image
On this day (Mar 23) entire Bharat is commemorating the heroic sacrifice made by three young patriots on 23 Mar, 1931. Bhagat Singh, Sukhdev and Rajguru gladly kissed the gallows on this day by singing the song that praises their motherland Bharat. After long  84 years of their execution we are still debating on the legacy of this revolutionary patriot. For all of us, the chronicle of Bhagat Singh is a source of inspiration in serving Bharat  Bhavani. To my knowledge he sacrificed his precious life for a noble cause, for the liberation of Bharat from the invaders, for nationalism. Undoubtedly Bhagat"s  legacy belongs to every Bharati. But for the communists (experts in transforming sheep to dog), he died for communism and not for nationalism. They are incessantly advocating Bhagat as their poster boy, for several years they have been using  Goebalsian tricks to claim Bhagat"s  legacy. They are injecting fake stories about Bhagat into the blood of y

" नई पीढ़ी देश के लिए जीना सीखे "

Image
"जीवन के निष्कर्ष के सही होने की दृष्टि से व्यक्ति का जीवन के प्रति दृष्टिकोण निर्णायक होता है; जीवन में जीने के लिए क्या करना है और क्या करने के लिए जीना है इन दोनों विषयों के बीच वही अंतर है जो जीवन की सफलता और जीवन की सार्थकता के बीच होता है, जिसे समझ पाने की लिए  स्वयं का ज्ञान और जीवन का बोध महत्वपूर्ण है; हम क्या करने के लिए जीते हैं या फिर हम जीने के लिए क्या करते हैं यह इस बात पर निर्भर करता है की हमारे लिए जीवन की समझ कितनी स्पष्ट है;    इसलिए,ज्ञान का उद्देश्य अगर व्यक्ति के जीवन यापन की चिंता तक ही सीमित हो तो समाज में शिक्षा की व्यवस्था चिंता का कारन बन जाता है; क्योंकि तब अपनी विकृत शिक्षा नीति के कारन  समाज अपने सतत प्रयासों से एक ऐसी पीढ़ी का निर्माण करता है जिसके लिए महत्व का निर्धारण भी मूल्य से होता है।  जब तक व्यक्ति को स्वयं का बोध न हो उसके लिए यह समझ पाना कठिन होगा की उसे क्या करने के लिए जीना है।  और तब, जीवन की सफलता के किसी भी माप दंड के अनुसार जीवन कितना भी सफल क्यों न हो, वह अपने प्रयास और प्रभाव से अपनी सार्थकता नहीं सिद्ध कर पाती।  हम एक ऐ

*_🚩🔱👏नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे 🇮🇳!_*

Image
*_🚩🔱👏नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे 🇮🇳!_* *_त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोहम्!!_* *_महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते॥👏🕉🚩_* *🚩🇮🇳हे वात्सल्यमयी मातृभूमि, तुम्हें सदा प्रणाम! इस मातृभूमि ने हमें अपने बच्चों की तरह स्नेह और ममता दी है। इस हिन्दू भूमि पर सुखपूर्वक मैं बड़ा हुआ हूँ। यह भूमि महा मंगलमय और पुण्यभूमि है। इस भूमि की रक्षा के लिए मैं यह नश्वर शरीर मातृभूमि की सेवा मे अर्पण करते हुए इस भूमि को बार-बार प्रणाम करता हूँ।🔱🙋🏻‍♂🇮🇳🕉🚩* *भारत देश के सभी प्रेमियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाये एवं   रक्षाबंधन का त्योहार के पावन पर्व की हार्दिक बधाई !!👏🔱🕉🚩* *भारत माता की जय 👏🇮🇳* *_हर हर महादेव शिव शम्भू 👏🔱🚩_* Santoshkumar B Pandey at 8.30Am

Shahed Bhagat Singh is Not Communist ideology follower & also not a Atheist but He is a Nationalist Hindu sikh !

Image
Meeting with Bhagat Singh & Release from Jail (Source: Autobiography of Bhai Sahib Bhai Randhir Singh Ji – Meeting with Bhagat Singh, The Great Patriot – Chapter 25) AT LAST THE day came, It was 6 P.M. on 4th October, 1930. The news of my release was announced and everyone was very happy about it. I was sitting in a blissful solitude within my cell. All the patriots rushed towards my cell to break the news to me and congratulate me. The first to come and congratulate me was Bhai Gajjan Singh (Master). In a matter of minutes other patriots gathered around me and read joyfully the orders of release. I was overwhelmed not so much by the joy of release as by the separation I would have to bear from devoted friends like Bhai Kartar Singh (of Canada). I was overwhelmed by these dual emotions of joy and sorrow when friends came to bid good-bye with loving embraces. The prison officials stood there ready to carry out the order of my release but my feet were reluctant to move away fr

Lokmanya Shri Bal Gangadhar Tilak :- “Father of Swarajya"

Image
Political Goals of Shri Bal Gangadhar Tilak :-  Bal Gangadhar Tilak was not an idealist thinker like Plato, Hegel, Rousseau or Green. He never thought of any ideal State. His main aim was the political emancipation of India. He was realistic in his political thought. He was a Vedantist and believed in metaphysical assumptions. He considered spirit as the supreme reality. Since all men are portions of that absolute being, all have the same autonomous spiritual potentiality. This led him to believe in supremacy of the concept of freedom. The concept of freedom is central to Tilak’s political ideas. He was of the view that metaphysics of Vedanta resulted in the political conception of natural rights. The spirit is the only reality, man is soul not body. His aim was the political emancipation of India. He was realistic in his political thought. The western theories of national independence and self determination had a great influence upon Tilak's mind. The following are the main

देश के खातिर इस क्रांतिकारी ने मां से उधार लेकर खरीदे थे हथियार !

Image
देश के खातिर इस क्रांतिकारी ने मां से उधार लेकर खरीदे थे हथियार  !  ग्वालियर से अपनी बहन के कपड़ों में छिपाकर शाहजहांपुर तक लाए थे हथियार,  काकोरी ट्रेन डकैती में किया था इनका इस्तेमाल। हथियार बनाने का काम करने वाले एक परिवार के व्यक्ति को बनाया दोस्त, उसी की मदद से खरीदे। ग्वालियर।  काकोरी ट्रेन डकैती के लिए  ग्वालियर से हथियार खरीदे थे। यह हथियार शाहजहांपुर तक महान क्रांतिकारी पं. रामप्रसाद बिस्मिल अपनी बहन शास्त्री देवी के कपड़ों में छिपाकर शाहजहांपुर तक लाए थे। हथियार खरीदने के लिए धन बिस्मिल ने अपनी मां मूलवती देवी से उधार लिया था। इसका उल्लेख बिस्मिल ने अपनी आत्मकथा में किया है।  फांसी की खबर सूनते ही खौल उठा था खून  पं .रामप्रसाद बिस्मिल मूलत: तत्कालीन ग्वालियर स्टेट में मुरैना के रूअर-बरवाई गांव के निवासी थे। लेकिन अकाल के दौरान उनके पिता गरीबी और पारिवारिक कलह की वजह से उत्तरप्रदेश के शाहजहांपुर आ गए, और जीवन यापन करने लगे। बिस्मिल इसी माहौल में बड़े हुए और आर्यसमाजी क्रांतिकारी भाई परमानंद को अंग्रेजों द्वारा षडयंत्रपूर्वक फांसी की सजा सुनाए जाने पर उनका खून खौल उठा।