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Showing posts from July, 2019

Lokmanya Shri Bal Gangadhar Tilak :- “Father of Swarajya"

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Political Goals of Shri Bal Gangadhar Tilak :-  Bal Gangadhar Tilak was not an idealist thinker like Plato, Hegel, Rousseau or Green. He never thought of any ideal State. His main aim was the political emancipation of India. He was realistic in his political thought. He was a Vedantist and believed in metaphysical assumptions. He considered spirit as the supreme reality. Since all men are portions of that absolute being, all have the same autonomous spiritual potentiality. This led him to believe in supremacy of the concept of freedom. The concept of freedom is central to Tilak’s political ideas. He was of the view that metaphysics of Vedanta resulted in the political conception of natural rights. The spirit is the only reality, man is soul not body. His aim was the political emancipation of India. He was realistic in his political thought. The western theories of national independence and self determination had a great influence upon Tilak's mind. The following are the main

देश के खातिर इस क्रांतिकारी ने मां से उधार लेकर खरीदे थे हथियार !

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देश के खातिर इस क्रांतिकारी ने मां से उधार लेकर खरीदे थे हथियार  !  ग्वालियर से अपनी बहन के कपड़ों में छिपाकर शाहजहांपुर तक लाए थे हथियार,  काकोरी ट्रेन डकैती में किया था इनका इस्तेमाल। हथियार बनाने का काम करने वाले एक परिवार के व्यक्ति को बनाया दोस्त, उसी की मदद से खरीदे। ग्वालियर।  काकोरी ट्रेन डकैती के लिए  ग्वालियर से हथियार खरीदे थे। यह हथियार शाहजहांपुर तक महान क्रांतिकारी पं. रामप्रसाद बिस्मिल अपनी बहन शास्त्री देवी के कपड़ों में छिपाकर शाहजहांपुर तक लाए थे। हथियार खरीदने के लिए धन बिस्मिल ने अपनी मां मूलवती देवी से उधार लिया था। इसका उल्लेख बिस्मिल ने अपनी आत्मकथा में किया है।  फांसी की खबर सूनते ही खौल उठा था खून  पं .रामप्रसाद बिस्मिल मूलत: तत्कालीन ग्वालियर स्टेट में मुरैना के रूअर-बरवाई गांव के निवासी थे। लेकिन अकाल के दौरान उनके पिता गरीबी और पारिवारिक कलह की वजह से उत्तरप्रदेश के शाहजहांपुर आ गए, और जीवन यापन करने लगे। बिस्मिल इसी माहौल में बड़े हुए और आर्यसमाजी क्रांतिकारी भाई परमानंद को अंग्रेजों द्वारा षडयंत्रपूर्वक फांसी की सजा सुनाए जाने पर उनका खून खौल उठा।

क्रांतिकारी रोशन सिंह की जीवनी !

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क्रांतिकारी रोशन सिंह की जीवनी  Thakur Roshan Singh– रोशन सिंह एक भारतीय क्रांतिकारी थे जिन्हें 1921-22 के असहकार आंदोलन के समय बरेली शूटिंग केस में सजा सुनाई गयी थी। बरेली सेंट्रल जेल से रिहा होने के बाद 1924 में वे हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन में शामिल हो गये। जबकि काकोरी हत्या कांड में उनका हाथ नही था लेकिन फिर भी उन्हें गिरफ्तार किया गया और ब्रिटिश सरकार ने उन्हें मौत की सजा सुनाई। रोशन सिंह का जन्म 22 जनवरी 1892 को नवाडा गाँव के राजपूत परिवार में कौशल्यानी देवी और जंगी राम सिंह यहाँ हुआ था। यह छोटा गाँव उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में स्थित है। वे एक अच्छे शूटर और रेसलर थे। साथ ही वे लम्बे समय तक शाहजहांपुर के आर्य समाज से भी जुड़े हुए थे। जब उत्तर प्रदेश सरकार ने भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के वालंटियर कोर्प्स पर नवम्बर 1921 में बंदी लगा दी थी, तब देश के सभी कोनो से सरकार के इस निर्णय का विरोध किया जा रहा था। ठाकुर रोशन सिंह ने शाहजहांपुर जिले से बरेली भेजे जा रहे आक्रामक सेना वालंटियर्स का नेतृत्व किया था। पुलिस ने भी जुलुस को रोकने के लिए गोलियों का सहारा लिया था और इस

" Mazhab Nahin Sikhata apas Men Bair Rakhna Hindi Hain ham, watan hai Hindustan Hamara "

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“जाऊँगा खाली हाथ मगर ये दर्द साथ ही जायेगा, जाने किस दिन हिन्दोस्तान आज़ाद वतन कहलायेगा? बिस्मिल हिन्दू हैं कहते हैं "फिर आऊँगा,फिर आऊँगा,फिर आकर के ऐ भारत माँ तुझको आज़ाद कराऊँगा”. जी करता है मैं भी कह दूँ पर मजहब से बंध जाता हूँ,मैं मुसलमान हूँ पुनर्जन्म की बात नहीं कर पाता हूँ; हाँ खुदा अगर मिल गया कहीं अपनी झोली फैला दूँगा, और जन्नत के बदले उससे एक पुनर्जन्म ही माँगूंगा.“ Ashfaqulla Khan was a freedom fighter in the Indian independence movement who had given away his life along with Ram Prasad Bismil. Bismil and Ashfaq, both were good friends and Urdu poets (Shayar). Bismil was the pen name or Takhallus of Ram Prasad whereas Ashfaq used to write poetry with the pen name of ‘Hasrat’. Both were hanged on the same day, date and time but in different jails. Early life: Ashfaq ullah Khan was born on 22 October 1900 in Shahjahanpur, a historical city of Uttar Pradesh. His father, Shafiq Ullah Khan belonged to a Pathan family who was famous for militancy. His maternal sid